क्या आपको पता है की श्रावण मा क्या होता है और इसका क्या महत्व है? पूजा हम और भी डीन्ज kरते है लेकिन इसी महीने गहरी शांति क्यों मिलती है? श्रावण मास हिन्दू पंचांग के हिसाब से एक पवित्र और ऊर्जावान समय होता है | यह समय सिर्फ धार्मिक रीति रिवाजों का नहीं होता है बल्कि यह हमारी आत्मा को भी शांति और सुकून देने वाला महिना है | खासकर भगवान शिव और चंद्रमा का जो रिश्ता है, वह श्रावण मास को और भी ज्यादा रहस्यमयी और महत्वपूर्ण बनाता है | इस ब्लॉग से आपको पता चलेगा की चंद्रमा का संबंध श्रावण मास के साथ और कैसे इस मास ज्योतिषीय रूप से हम अपने जीवन को संतुलित कर सकते है |
श्रावण मास हिंदू कैलेंडर के हिसाब से पाँचवा महिना होता है | जो जुलाई से अगस्त के बीच आता है | अक्सर इस महीने को लोग भगवान शिव का प्रिय महिना भी बोलते है और इस महीने को भगवान शिव को समर्पित करते है |
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को शिव जी ने अपने कंठ में रोक लिया था, इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा गया | ऐसा माना जाता है की उस समय देवताओं ने श्रावण मास में जलाभिषेक करके उन्हें शीतलता प्रदान की थी |
इसलिए ही इस महीने में सोमवार का व्रत, रुद्राभिषेक, शिव जी की पूजा, बेल पत्र अर्पण आदि विशेष महत्व रखते हैं | ये सारे कार्य हमारे जीवन के मानसिक, आध्यात्मिक और ग्रहों से जुड़े संतुलन को सुधारते हैं |
जब भी हम भगवान शिव के विग्रह या तस्वीर को देखते है तो, उनके मस्तक पर चमकता हुआ चंद्रमा हमें शांति काअ एहसास है | काफी बार ऐसा भी देखा गया है की जब कोई बहुत दुखी और इस महीने भगवान शिव के मंदिर जाए तो उन्हे शांति मिलती है और उन्हे Solution मिल जाता है | यह कोई केवल प्रतीकात्मक बात नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा ज्योतिषीय रहस्य छिपा है |
“चंद्रमा को मन का स्वामी कहा गया है | शिव को ‘अंतर्मन’ का अधिपति माना जाता है | यही वजह है कि दोनों का संबंध बहुत गहरा और रहस्यमयी माना जाता है |”
चंद्रमा के पास 16 कलायें हैं, और भगवान शिव ही उन 16 कलाओं को नियंत्रित करने वाले आदि तत्त्व हैं| जब हमारा चंद्रमा कमजोर होता है — यानी हम मानसिक रूप से अशांत, डरपोक या उलझे हुए होते हैं — भगवान शिव की साधना से हमें मानसिक शक्ति मिलती है|
ज्योतिष में चंद्रमा को हमारे मन, भावनाओं और स्मृतियों का प्रतीक माना गया है | यह हमारे भीतर की नर्म संवेदनाओं, मां से जुड़े रिश्ते और मानसिक संतुलन को गहराई से प्रभावित करता है |
कुंडली में अगर चंद्रमा कमजोर हो जाए या शनि, राहु या केतु जैसे ग्रहों की दृष्टि या युति से प्रभावित हो जाए, तो इंसान के भीतर बेचैनी, तनाव, उलझन या आत्मविश्वास की कमी पैदा हो सकती है | ऐसे लोग कई बार छोटी-छोटी बातों में डूब जाते हैं या निर्णायक फैसले नहीं ले पाते|
असल में, चंद्रमा की चाल और उसकी दशा हमारे रोजमर्रा के अनुभवों पर साफ असर डालती है | यह हमारी सोच, नींद की गहराई और आत्मविश्वास की स्थिति तक को बदल सकता है |
इसीलिए, चंद्रमा की ऊर्जा को साफ-सुथरा रखना और इसे संतुलित करना बेहद जरूरी माना गया है | हिंदू परंपरा में श्रावण मास को चंद्रमा की शुद्धि और मानसिक शांति के लिए खास पवित्र समय माना जाता है| इस माह में भगवान शिव की उपासना, रुद्राभिषेक, जल अर्पण और चंद्रमा के मंत्रों का जाप करने से चित्त को स्थिरता और ताजगी मिलती है |
अगर जीवन में तनाव या असमंजस बढ़ने लगे, तो चंद्रमा की साधना से मन को एक नई रोशनी मिलती है | जो भीतर से संभालने का हौसला देती है | यही वजह है कि चंद्रमा से जुड़ी पूजा-पद्धतियां आज भी लोगों के बीच इतनी लोकप्रिय हैं |
श्रावण का महीना हर साल खासा महत्व रखता है | यह वो समय होता है जब प्रकृति भी हरियाली से भर जाती है और वातावरण में एक अलग सी पवित्रता महसूस होती है | इसी महीने में सोमवार का महत्व और बढ़ जाता है |
कई लोग मानते है कि सोमवार को चंद्रमा की ऊर्जा सबसे अधिक सक्रिय रहती है | मान्यता है की, जब हम इस दिन भगवान शिव का जलाभिषेक या रुद्राभिषेक करते हैं, तो हमारा मन चंद्रमा की शुद्ध और शांत ऊर्जा से जुड़ता है | यही ऊर्जा हमारे विचारों और भावनाओं को स्थिर और सकारात्मक बनाती है |
श्रावण के दौरान अक्सर चंद्रमा की युति बृहस्पति जैसे शुभ ग्रहों से होती है | ऐसी स्थिति में गजकेसरी योग जैसे फलदायी योग बनते हैं, जिनका असर सीधा हमारे आत्मविश्वास और मानसिक स्पष्टता पर पड़ता है | अगर कोई निर्णय लेने में हिचकिचाहट महसूस कर रहा हो, तो इस योग के दौरान साधना करने से मन मजबूत होता है |
इस महीने की अमावस्या और पूर्णिमा की तिथियां भी बहुत खास मानी जाती हैं | उस समय सूर्य और चंद्रमा की विशेष स्थिति से वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ जाती है | ध्यान, जप या मंत्र साधना के लिए यह दिन सबसे उत्तम होते हैं | कई लोग मानते हैं कि श्रावण सोमवार को शिव पूजा से न सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि मन भी गहरे स्तर पर शांत और सुकून से भर जाता है | यही वजह है कि इस मास में शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, और घर-घर में व्रत और अभिषेक का संकल्प लिया जाता है |
अगर मन अशांत हो जाए और सोच उलझ जाए, तो कुछ आसान उपाय आपका सहारा बन सकते हैं
इन उपायों से न केवल चंद्रमा मजबूत होता है, बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा भी शुद्ध होते हैं |
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श्रावण मास का मतलब सिर्फ पूजा-पाठ नहीं होता है । ये वो वक्त होता है जब आप रुकते है और शांति के साथ सोचते है |
अगर दिल बेचैन है, नींद ठीक नहीं आ रही, या सोच बहुत भाग रही है — तो ये महीना आपके लिए बहुत खास है |
भगवान शिव की भक्ति और चंद्रमा से जुड़ी छोटी छोटी चीजे जैसे, चंद्रमा की पूजा और उसे बैठकर देखना आदि से मन को बहुत शांति मिलती है |
वैसे तो श्रावण मास मे व्रत रखना याचा है | लेकिन अगर आप नहीं रख पते है | तो भी अपने लिए थोड़ा शांति का समय जरूर निकालिए | क्योंकि अंदर की शांति की असली सुकून देती है |
आपको बस यह महसूस करना है की शिव बाहर नहीं है बल्कि आपके अंदर है |
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