चातुर्मास 2025: चातुर्मास की महिमा
चातुर्मास 2025: चातुर्मास की महिमा चातुर्मास क्या होता है? चातुर्मास का अर्थ है — चार महीनों का विशेष आध्यात्मिक काल । यह हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल एकादशी (देवशयनी एकादशी) से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) तक चलता है। ऐसा कहा जाता है की इस अवधि मे भगवान विष्णु योगनिद्रा मे चले जाते है | और चातुर्मास मे कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है जैसे विवाह, ग्रहप्रवेश, या किसी नए कार्य की शुरुआत | चातुर्मास मे 4 अलग-अलग महीनों के अलग-अलग त्याग आते है पहला महिना 6 जुलाई 2025 से 8 अगस्त 2025 – हरी पत्तेदार सब्जियों का त्याग | दूसरा महिना 9 अगस्त 2025 से 6 सितंबर 2025 – दही का त्याग | तीसरा महिना 7 सितंबर 2025 से 6 अक्टूबर 2025 – दूध और उससे बनी चीजों का त्याग | चौथा माहीना 7 अक्टूबर 2025 से 1 नवंबर 2025 – उड़द की डाल और उससे बनी चीजों का त्याग हिंदू शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है की अगर कोई व्यक्ति इन 4 चीजों का त्याग करता है तो वह मोक्ष को प्राप्त करता है| चातुर्मास 2025 की तिथियाँ 6 जुलाई 2025 – देवशयनी एकादशी से 1 नवम्बर 2025 – देवउठनी एकादशी तक | इस साल चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई 2025 (शनिवार) को हो चुकी है, देवशयनी एकादशी के दिन । यही वो दिन होता है जब माना जाता है कि भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। चातुर्मास चलेगा पूरे चार महीनों तक, और फिर 1 नवम्बर 2025 (शनिवार) को देवउठनी एकादशी के दिन भगवान पुनः जागेंगे। इन्हीं दो एकादशियों के बीच का समय “चातुर्मास” कहलाता है। चातुर्मास मे क्या नहीं करना चाहिए? यह जानने से पहले की चातुर्मास मे क्या क्या करना चाहिए | यह जानना आवश्यक है की क्या क्या नहीं करना चाहिए? शस्त्रों में चातुर्मास को भक्ति के लिए श्रेष्ठ महिमा बोल जाता है | इसलिए चातुर्मास मे सिर्फ भक्ति करनी चाहिए और यह कार्य नहीं करने चाहिए:- विवाह, मुंडन, ग्रहप्रवेश, नया व्यापार आदि | मांस, शराब, प्याज-लहसुन, अधिक नमक-मिर्च का सेवन | अनैतिक संबंध, अत्यधिक सुख साधन | बाल कटवाना, दाड़ी बनवाना, (विशेषकर ब्रह्मचारियों और साधकों के लिए) | चातुर्मास संयम, व्रत, और त्याग का होता है इसलिए इंद्रिय भोग के विषयों को करना वर्जित होता है | अगर आप इस विषय के बारे मे और ज्यादा जानना चाहते हैतो आप Astrologer Rajat Kumar से संपर्क कर सकते हैं | चातुर्मास मे कोई भीम शुभ कार्य क्यों नहीं किए जाते है? शास्त्रों के अनुसार चातुर्मास को देवी-देवताओं का विश्राम काल कहा गया है | और विशेषकर भगवान विष्णु योगनिंद्रा में चले जाते है | जब देवता गण की निंद्रा में हो तो यह काल उचित कैसे मन जा सकता है किसी भी शुभ काम के लिए | क्योंकि जब भी हम कोई शुभ कार्ये करते हैं तो सबसे पहले देवी-देवता और भगवान की पूजा की जाती है | यही कारण है कि इस काल में विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण जैसे मंगल कार्य नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा वर्षा ऋतु भी एक कारण है | क्योंकि वर्षा होने की वजह से रास्ते खराब हो जाते है और लोगों को आने जाने मे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है | इसलिए ही साधुजन और संत भी इस मास यात्रा नहीं करते है | चातुर्मास मे क्या करने से लाभ मिलेगा? चातुर्मास पवित्र मास होते है | इनमे भक्ति, दान, संयम, और ताप का विशेष महत्व होता है: हर सोमवार भगवान शिव की पूजा व व्रत करना चाहिए | एकादशी का व्रत रखें व विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें | नवदुर्गा, श्रीरामचारितमानस, श्रीमदभगवद्गीता का पाठ करें | तुलसी मत जी पूजा करें, दीपदान करे और जितना हो सके उतना जप और तप करना चाहिए | ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए और गए की सेवा करनी चाहिए | चातुर्मास मे राशियों के अनुसार कुछ विशेष सावधानियाँ मेष/वृश्चिक: क्रोध करने और जल्दबाजी करने से बचे | हनुमान जी की पूजा करें | वृष/तुला: ग्रह क्लेश मे न पड़े और मत लक्ष्मी की नियमानुसार पूजा करे | मिथुन/कन्या: मान भटक सकता है इसलिए मानसिक शांति हेतु ध्यानज करें | कर्क/मीन: शिव जी का अभिषेक करना लाभकारी होगा | सिंह/धनु: भगवान का ध्यान, सत्संग और साधुयों की सेवा मे मान लगाएं | मकर/कुंभ: शनिदेव का मंत्रों का जप करे और अपने कार्यों को मान लगाकर करे | अगर आप इस विषय के बारे मे और ज्यादा जानना चाहते है तो आप Astrologer Rajat Kumar से संपर्क कर सकते हैं | चातुर्मास में ग्रह दोष शांति के उपाय:- इसमे ग्रह दोष आपकी जन्म कुंडली के अनुसार बताया गया है:- गुरु दोष – हार ब्रहस्पतिवार को व्रत रखे और भगवान विष्णु की पूजा करें | शनि दोष: सरसों के तेल का दान करे और हनुमान चालीसा का पाठ करें | राहु–केतु दोष: श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करें | मंगल दोष: हर मंगलवार उपवास करें और निष्काम भाव से हनुमान जी की सेवा करें | यह काल बाहरी दुनिया से हटकर साधन और शुद्ध भक्ति का समय है | हमे अपने अंदर के लोभ, मोह, लालच, क्रोध सबको अलग हटकर सिर्फ और सिर्फ भगवान की पूजा और अपने कर्मों को सही करने का प्रयास करना चाहिए तब ही हम चातुर्मास का पूरा फल प्राप्त कर पाएंगे | अगर आप कुछ पूछना चाहते है तो आओ कमेन्ट करके पूछ सकते है और ज्यादा जानकारी के लिए आप The Astrology Academy of India से संपर्क कर सकते है |